शरद पूर्णिमा की रात आसमान से होती है अमृत वर्षा, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान श्रीकृष्ण के पावन रासलीला का पर्व शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने महारास किया था। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। शरद पूर्णिमा की रात का अपना विशेष धार्मिक महत्व है। इस रात को भगवान चंद्रमा, माता लक्ष्मी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं। शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी। पूर्णिमा तिथि अगले दिन सोमवार, 10 अक्टूबर को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। शरद पूर्णिमा के दिन मध्य रात्रि में पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की छाया में रखी गयी खीर का विशेष महत्व शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी , चंद्र देव के साथ भगवान विष्णु , कुबेर जी , भगवान कृष