Pitru Paksha: ‘गया’ में पिंडदान से पितरों को स्वर्ग की होती है प्राप्ति, जानें इसका महत्व
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरूआत हो गयी है। दिवंगत पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, समर्पण और उनके मोक्ष की कामना के लिए पितृपक्ष शनिवार को अगस्तमुनि को जल देने के साथ ही शुरू हो गया। अब अगले 15 दिनों तक लोग अपने पूर्वजों को प्रत्येक दिन प्रातः बेला में जल देने के साथ मृत्यु तिथि के अनुसार विशेष पिंडदान करेंगे। पितृ पक्ष को लेकर कुछ लोग जहां पिंडदान करने दुनिया की चर्चित मोक्ष स्थली ‘ गया ’ जाते हैं। वहीं, अधिकतर लोग अपने-अपने घर पर ही पुरोहित के माध्यम से पूर्वजों को जल अर्पण करते हैं। सनातन धर्मग्रंथों के अनुसार श्राद्धपक्ष के 15 दिनों में लोग अपने पितरों को जल देते हैं तथा उनकी मृत्युतिथि पर श्राद्ध करते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में पूर्वज कौवे के रूप में धरती पर आते हैं। श्राद्ध करने से पितरों को शांति मिलती है और उनके आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि आती है। पितृपक्ष में श्राद्ध का महत्व ऐसी मान्यता है कि पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा चुकाया जाता है। वर्ष के किसी भी माह तथा तिथि में स्वर्गवासी हुए पितरों के लिए पितृपक्ष की उसी तिथि को श